Jal Purush, Waterman of India
09 Jan 2025
07 Jan 2025
07 Jan 2025
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Contact Us6 जनवरी 2024 को स्वराज विमर्श यात्रा बूंदी से शाहबाद जंगल,बारां राजस्थान पहुंची। यह यात्रा जलपुरुष राजेंद्र सिंह जी के नेतृत्व में रॉबिन सिंह की टीम के साथ सुबह 6 बजे बारां से शाहबाद जंगल के लिए रवाना हुई और 7.30 बजे कलोनी गांव पहुंची। यहां गांव वासियों के साथ सभा आयोजित करके, जंगल कटने के नुकसान और जंगल संरक्षण के प्रति लोगो को जागरूक किया गया। एक घंटे सभा चलने के बाद शाहबाद में लगने वाले हाइड्रो पावर प्लांट की जमीन पर कूनो नदी के किनारे पर यात्रा पहुंची। इस यात्रा के दौरान बीच में जगह - जगह पर काटे गए पेड़ों को देखा और यात्रा ने जोधपुर हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के फैसले के बाद भी की गई कटाई और प्लांट लगाने को लेकर की जा रही तैयारियों को अवैधानिक बताया।
यात्रा ने मौका स्थल पर पहुंच कर, पेड़ों की गणना करने की नमूना विधि से टीम के साथ पेड़ों की संभावित संख्या का आकलन किया और कहा कि, जंगल में कटने वाले पेड़ों की संख्या को सरकार द्वारा छुपाया जा रहा है मौका मुआयना करने से पता चलता है कि, इस पॉवर प्लांट लगाने हेतु 119759 पेड़ों के स्थान पर कम से कम 25 लाख से 28 लाख पेड़ों को काटा जाएगा। कालोनी और आस पास से लगे ग्राम वासी भी इस पूरी गणना के दौरान उपस्थित होकर अपना सहयोग प्रदान किया और यात्रा ने इस मामले में आवश्यक कदम उठाने की मांग की।
जंगल यात्रा के बाद गायत्री प्रज्ञा पीठ के सभागार, बारां में दिया फाउंडेशन, वृक्ष मित्र फाउंडेशन और शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति द्वारा कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता के तौर पर जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी ने कहा कि, हमारे संविधान के अनुसार हमारे देश के सभी नागरिकों को मूलभूत सुविधाओं से जीवन यापन के अधिकार मिले हुए जिससे देश का प्रत्येक नागरिक सुविधानुसार अपने जीवन को जी सकता है। इस सुविधापूर्ण जीवन जीने के विरुद्ध यदि कोई भी काम होता है या सरकारों। द्वारा किया जाता है तो वह इस देश के आम आदमी के जीवन जीने के अधिकारों के विरुद्ध है। शाहबाद जंगल के 119759 पेड़ों को काटा जाना पर्यावरण को प्रभावित करता है और यह सीधे तौर पर आम आदमी के जीवन को प्रभावित करता है, इस नाते यह कार्य संविधान के विरुद्ध है जो न केवल देश को प्रभावित कर रहा है बल्कि पूरे मानव समुदाय को खतरे में डाल सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणविद् रॉबिन सिंह ने कहा कि “जिस तरह ऑक्सीजन पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए आवश्यक है ठीक, उसी तरह शाहबाद के जंगल भी देश भर के लोगों के जीवन के लिए आवश्यक है।"
शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन को समर्थन देते हुए जलपुरुष राजेंद्र सिंह जी ने कहा कि “एक पौधे को पेड़ बनने में सैकड़ों वर्ष लग जाते हैं, जिसमें 150 से 200 वर्ष तक की उम्र के पेड़ों को काटा जाना इस देश की नहीं पूरे विश्व की पर्यावरणीय क्षति है, जिसमें लगभग 600 तरह के औषधीय गुणों वाली प्रजातियों के पेड़ शामिल हैं।यह घटना पूरी मानवता के लिए विनाशकारी दुर्घटना है जिसके रोके जाने के लिए जितने भी कदम उठाने पड़े उठाए जाएंगे।“
कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण विद प्रशांत पाटनी ने कहा कि“ इस जंगल द्वारा जैव विविधता, वन्य जीव आवास, जलवायु परिवर्तन, कृषि उपज ,वर्षा जल प्रतिशत के साथ साथ हमारे जीवन जीने के अनेक कारक जुड़े हुए हैं।इन पेड़ों से के साथ हम सभी लोगों का जीवन जुड़ा हुआ है जो इन पेड़ों के कटने से सीधे तौर पर प्रभावित होगा। बारां जिले, राजस्थान,देश और विश्व भर के पर्यावरण को प्रभावित करने वाली इस घटना को विकास के नाम पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।चाहे हमें कितना भी बड़ा आंदोलन क्यों न करना पड़े।“
कार्यशाला में उपस्थित चंबल संसद के समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय ने कहा कि“ कॉरपोरेट जगत में देश को विकसित करने के स्थान पर अपना विकास करने की भावना हावी है। शाहबाद जंगल में लगने वाला हाइड्रो पावर प्लांट एक पुरानी पद्धति है, जिसके कई विकल्प अभी प्रचलन में है। ये केवल कुछ लोगों द्वारा वन भूमि को हथियाने का षडयंत्र मात्र है।“
अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी उद्योगपति विष्णु साबू ने कहा कि“ये जंगल केवल शाहबाद की सम्पत्ति नहीं है अपितु पूरे देश की जनता की धरोहर है इसकी सुरक्षा का दायित्व हम सभी लोगों का नैतिक दायित्व है जिससे जिस प्रकार का सहयोग हो करना चाहिए और इसके लिए आगे बढ़ कर आना होगा। इस कार्यशाला के बाद यात्रा जयपुर होते हुए दिल्ली पहुंची।